हर पर्व का संदेश: सद्भावना
सद्भावना जीवन सार बने
हर मानव का श्रृंगार बने-
सद्भावना से कायम धरती,
यह भेद नहीं कोई करती,
जग-जीवन को सुदृढ़ करती,
हम धरती पर क्यों भार बनें?
सद्भावना से भरपूर गगन,
सीमा-रेखा से दूर मगन,
केवल समभाव की इसको लगन,
क्यों शून्य का हम संहार बनें?
सद्भावना से हो देश अभय,
हर भारतवासी बने निर्भय,
हो सत्य-अहिंसा-शील की जय,
क्यों जीत हमारी हार बने?
सद्भावना जीवन सार बने
हर मानव का श्रृंगार बने.