कविता

कविता : दरमियां

दो टूक की
खामोशी सिमटी
साज़िशों में उलझ गये…
कुछ तो था…….
तेरे-मेरे दरमियां…
वक़्त के मंज़र
पल के अहसास
बादलों में उड़ गये..
कुछ तो था……
फैसला …..तेरे-मेरे दरमियां
शाम की फ़िज़ा
संदल सी हवा
रुख बदल गये….
कुछ तो था ..
फासला….तेरे-मेरे दरमियां
प्यार की बात
बेइंतहा जज़्बात
हूक बन ठहर गये….
कुछ तो था…
टूटा हौसला…तेरे-मेरे दरमियां
समन्दर गहरा
आँखों में पहरा
नमी बन उतर गये…
कुछ तो था ….
आइना रूठा….तेरे-मेरे दरमियां…
नंदिता ज़िंदगी
इश्क़ बंदगी
तुम रूह में समां गये..
कुछ तो था..
बाकी वफ़ा में….तेरे-मेरे दरमियां…!!

नंदिता तनुजा

तनूजा नंदिता

नाम...... तनूजा नंदिता लखनऊ ...उत्तर प्रदेश शिक्षा....एम॰ ए० एंव डिप्लोमा होल्डर्स इन आफिस मैनेजमेंट कार्यरत... अकाउंटेंट​ इन प्राइवेट फर्म वर्ष 2002से लेखन में रुचि. ली... कुछ वर्षों तक लेखन से दूर नहीं... फिर फ़ेसबुक पर वर्ष 2013 से नंदिता के नाम से लेखन कार्य कर रही हूँ । मेरे प्रकाशित साझा संग्रह.... अहसास एक पल (सांझा काव्य संग्रह) शब्दों के रंग (सांझा काव्य संग्रह) अनकहे जज्बात (सांझा काव्य संग्रह ) सत्यम प्रभात (सांझा काव्य संग्रह ) शब्दों के कलम (सांझा काव्य संग्रह ) मधुबन (काव्यसंग्रह) तितिक्षा (कहानी संग्रह) काव्यगंगा-1 (काव्यसंग्रह) लोकजंग, शिखर विजय व राजस्थान की जान नामक पत्रिका में समय समय पर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है । मेरा आने वाला स्वयं का एकल काव्य संग्रह... मेरी रुह-अहसास का पंछी प्रकाशन प्रक्रिया में है नई काव्य संग्रह- काव्यगंगा भी प्रकिया में है कहानी संग्रह भी प्रक्रिया में है संपर्क e-mail [email protected] Facebook [email protected]