एक था राजा एक थी रानी
बजने दे पायल की रुनझुन
कहने दे फिर वही कहानी
एक था राजा एक थी रानी
मौन की जब जब टूटी कारा
शब्दों ने तब गीत सँवारा
जब संगीत मिला गीतों से
फूट पड़ी स्मृति की धारा
गीत मेरा संगीत तुम्हारा
साज नया हो बात पुरानी
दिल मे हूक लगे तब उठने
पेड़ों पर जब पपिहा बोले
नीलगगन सी विस्तृत यादें
क्यों यादों के परदे खोले
वो पनघट की मधुरिम सुबहें
वो मधुवन की शाम सुहानी
खेल-खेल में छेड़ दिया तो
रूठी राधा कृष्ण मनाये
बात बात में बात बढ़ी यूँ
हठ कर बैठी पास न आये
यादों में वो मान मनव्वल
भूल न सकती खींचातानी