गुलाब
इश्क़ की कहानी
यादों की निशानी
किताबों में बंद
महका था गुलाब
मुरझाया सा अब
फिर भी अहसास में
भिगोया, आस बन
ज़ीस्त में लिपटी
इश्क़ की फरियाद
आंखो में धुंधली
तस्वीर तुम्हारी
फीकी सी मुस्कान
खामोश बैठी
पंखुड़ियां छू कर
साँसों को समेटे
इश्क़ इश्क़ औ गुलाब
अश्क़ छलके
मन बहके
टूट के बिखरे
दर्द में मुस्कुराते गुलाब
कितना यक़ीन था
निभाएंगे, महकेंगे, बहकेंगे
फ़िज़ा में ख़ुमार बन छायेंगे
हवा क झोकों ने उलझाया
वक़्त ने सताया
जुदाई ने तड़पाया
नसीबा की तोहमत
किताबों में फिर छुपाया था
जिंदगी की सांझ में
वफ़ा का चिराग
इश्क़ में तेरा साथ
फिर तुमने हाथ छुड़ाया था
आहों, में सिमटी
यादों में बेजान
नंदिता का इश्क़ बेजुबान
देखती रही बस देरतलक
तेरे हाथों से लिया मुरझाया था गुलाब
मेरी रूह में महके
इश्क़ सबाब हां, इश्क़ सा गुलाब !!
— नंदिता