प्रेम क्या है ?
कैसे कहूँ
कि प्रेम क्या है
मेरे लिए तो
माँ की ममता
प्रेम है
पिता का धैर्य
प्रेम है
पति के साथ
सानिध्य स्थापित करना
शारीरिक मानसिक
सम्बंधों की तृप्ति
प्रेम है
बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए
माँ-बाप का जिंदगी का
एक-एक पल लगा देना
प्रेम है
घर- परिवार,जनकल्याण के लिए
अच्छा सोचना, करना
एक बेहतरीन समाज का निर्माण
प्रेम है
किसी दीन-दुखी की मदद
उसका सहारा बनकर
उसे सुख से साक्षात्कार
कराना प्रेम है
किसी के बहते आंसुओं को पोछना
उसे संतावना देना
रोते हुए चेहरे पर
मुस्कान सजाना
प्रेम है
किसी की अर्थी को कंधा देना
उसकी आत्मा की शांति के लिए
ईश्वर से प्रार्थना करना
प्रेम है
हृदय से हँसते-हँसते किसी के लिए
अपना सर्वस्व लूटा देना
प्रेम है
प्रेम एहसास है जज्बात है समर्पण है
प्रेम अंतरात्मा है
प्रेम ही ईश्वर है
प्रेम ही प्रार्थना है
प्रेम ही प्रकृति है
हम और तुम सभी प्रेम के ही अंश हैं