कविता

माँ तुम बड़ी अजीब थी

जब मैं छोटी थी
मुझे परियों की सी फ्रॉक पहना
और बालों में रिबन लगा
आंखों में काजल लगा
प्यार से निहारती थी,
और इस डर से कि कहीं नज़र न लग जाये
मुझे काला टीका लगा चूम लेती थी
उससे भी तुझे तसल्ली नहीं होती थी
नए नए प्रयोग कर मेरी नज़र उतारती थी,
माँ तुम बड़ी अजीब थी।

जब मैं गुड़िया की शादी रचाती थी
तुम अपनी पुरानी ज़री की साड़ी से
गुड़िया के कपड़े बनाती थी,
अपने संदूक से तरह-तरह की चीजें निकाल
गुड्डे की बारात सजाती थी,
और लड्डू कचौड़ी बना
बच्चों के साथ बच्ची बन जाती थी
माँ तुम बड़ी अजीब थी।

परीक्षा के दिनों में
जब मैं रात-रात भर जाग कर पढ़ती
तुम भी कहाँ सोती थी माँ,
कभी पानी, कभी चाय बनाती
और नींद न आने का बहाना कर
वहीं पास में बैठी रहती थी,
पढ़ते-पढ़ते सर दुःखता होगा
ये कह सर में तेल मालिश करती थी,
माँ तुम बड़ी अजीब थी।

मेरी शादी में संभाल कर रखे
तुमने ढेरों कपड़े ,बर्तन और तोहफे निकाले थे
और जब पापा को पड़ी धन की कमी
तुमने बटुए में जमा किये रुपये निकाले थे,
शायद विवाह की तैयारी तुमने
मेरे जन्म लेते ही शुरू कर दी थी
तभी तो विदाई के बाद तुम्हारी
अलमारी खाली दीखी थी,
तुम कभी कोई तोहफा अपने लिए नहीं रखती थी
सब सहेज कर मेरी शादी के लिए रखती जाती थी,
माँ तुम बड़ी अजीब थी।

गर्मी की छुट्टियों में जब मैं ससुराल से आती
तुम ढेरों पकवान बना कर रखती थी
ये भी खा ले, वो भी खा ले
कह दिन रात दुलारती थी,
और जब वापस जाने लगती
बेटी, तू यह भी रख ले, यह भी ले जा कहकर मेरी अटैची भर देती थी,
कुछ खाने का सामान रखा है
कह मुझे टोकरी थमाती थी
और जब मैं टोकरी खोल देखती
उसमें पापड़, बड़ियाँ, अचार के साथ
लड्डू, मठरी,नमकपारे
और न जाने क्या-क्या भर देती थी,
माँ तुम बड़ी अजीब थी।

नीरजा मेहता

नीरजा मेहता

नाम-----नीरजा मेहता ( कमलिनी ) जन्मतिथि--- 24 दिसम्बर 1956 वर्तमान/स्थायी पता-- बी-201, सिक्का क्लासिक होम्स जी एच--249, कौशाम्बी गाज़ियाबाद (यू.पी.) पिन--201010 मोबाइल नंबर---9654258770 ई मेल---- [email protected] शिक्षा--- (i)एम.ए. हिंदी साहित्य (ii)एम.ए. संस्कृत साहित्य (iii) बी.एड (iv) एल एल.बी कार्यक्षेत्र-----रिटायर्ड शिक्षिका सम्प्रति-----लेखिका / कवयित्री प्रकाशन विवरण-- प्रकाशित एकल काव्य कृतियाँ-- (1) "मन दर्पण" (2) "नीरजा का आत्ममंथन" (3) "उमंग" (बाल काव्य संग्रह) प्रकाशित 23 साझा काव्य संग्रह---- क़दमों के निशान, सहोदरी सोपान 2, सहोदरी सोपान 3, भावों की हाला, कस्तूरी कंचन, दीपशिखा, शब्द कलश, भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ, भारत के प्रतिभाशाली हिंदी रचनाकार, काव्य अमृत, प्रेम काव्य सागर, शब्द गंगा, शब्द अनुराग, कचंगल में सीपियाँ, सत्यम प्रभात, शब्दों के रंग, पुष्पगंधा, शब्दों का प्याला, कुछ यूँ बोले अहसास, खनक आखर की, कश्ती में चाँद, काव्य गंगा, राष्ट्र भाषा हिन्दी सागर साहित्य पत्रिका। प्रकाशित 2 साझा कहानी संग्रह-- (1) अंतर्मन की खोज (2) सहोदरी कथा पत्र-पत्रिकायें--- देश विदेश के अनेकों पत्र- पत्रिकाओं व ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनायें। (शीघ्र प्रकाशित होने वाली संस्मरण पर आधारित एकल पुस्तक, 5 साझा काव्य संग्रह और 2 साझा कहानी संग्रह।) (3) सम्मान विवरण--- (1) साहित्य क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं /समूहों द्वारा कई बार सम्मानित---- काव्य मंजरी सम्मान, छंदमुक्त पाठशाला समूह द्वारा चार बार सम्मानित, छंदमुक्त अभिव्यक्ति मंच द्वारा पाँच बार सम्मानित, श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, साहित्यकार सम्मान ( दो बार प्राप्त हुआ ), भाषा सहोदरी हिंदी सम्मान (दो बार प्राप्त हुआ), साहित्य गौरव अलंकरण सम्मान, आगमन समूह द्वारा सम्मानित, माँ शारदे उत्कर्ष सम्मान , दीपशिखा सम्मान, शब्द कलश सम्मान, काव्य गौरव सम्मान (दो बार प्राप्त हुआ ), गायत्री साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित, नारी गौरव सम्मान, युग सुरभि सम्मान, शब्द शक्ति सम्मान, अमृत सम्मान, प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान, प्रेम सागर सम्मान, आगमन साहित्य सम्मान, श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान, हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान, हिन्दी सागर सम्मान (संपादक सम्मान ), हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा सम्मानित। (2) उपाधि---काव्य साहित्य सरताज उपाधि ( ग्वालियर साहित्य कला परिषद {मध्य प्रदेश}द्वारा प्राप्त ) (3) विद्यालय से भी दो बार शिक्षक दिवस पर "बेस्ट टीचर अवार्ड" प्राप्त हुआ है। (1997 और 2008 में