गजल 2122,2122,2122,2122
पास तुम बैठो जरा सा बात कुछ करनी अभी है।
बाद में देना बहाना वक़्त की जो भी कमी है।
बीत ये सावन गया है,शेष बरसातें रहीं क्यूँ-
झांकते तो इक़ दफा तुम आंख मेरे जो नमी है।
हर दफा टाला किये हो बात क्या है बोल दो,
क्या तुम्हारी दिल जमी ये है नही मेरी जमी है।
जिंदगी मेरी फसाना बन न जाये ये कहीं।
दौर गम का चल रहा है हो रही दिल खलबली है।
एकटक देखा करूँ मैं रासता तेरा कभी जो
दूरियाँ *अनहद* लगी हैं पास मेरे तू नही है।
……… *अनहद गुंजन*
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