गीत/नवगीत

गीत

कुछ लोगों की मुझको दिखती ,मंशा काली भारत में
उन लोगों की चाहत लगती ,करें दलाली भारत में

मिट्टी ,चारा , रेल, खेल, ओ , तेल घोल कर पी डाले
ये भारत को भस्म कराने , की अग्नी में घी डाले

ये दुश्मन के संगी साथी , हैं दुश्मन के मित्र सभी
कैसे करूँ भरोसा उन पर , लगते मुझे विचित्र सभी

भारत में रह कर के देते हम को गाली भारत में
उन लोगों की चाहत लगती ,करें दलाली भारत में

— मनोज “मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.