कुदरत की मेहरबानी हो जाती !०
कह देते वो अगर इक कहानी हो जाती।
हमारी भी खूबसूरत ज़िन्दगानी हो जाती।
हर तरफ देश में अब हो रहा है क्या;
काश! याद शहीदों की कुर्बानी हो जाती।
मज़हब,जाति से भी बड़ा वतन होता है;
बात यह यूंही सबको ज़ुबानी हो जाती।
गिले शिकवों में क्या रखा है छोड़ो तुम;
ईद औ होली पे ये बातें बेमानी हो जाती।
नफरत को छोड़ गर शान्ति की सोचें सब;
हर तरफ कुदरत की मेहरबानी हो जाती।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !