गीतिका/ग़ज़ल

कुदरत की मेहरबानी हो जाती !०

कह देते वो अगर इक कहानी हो जाती।
हमारी भी खूबसूरत ज़िन्दगानी हो जाती।

हर तरफ देश में अब हो रहा है क्या;
काश! याद शहीदों की कुर्बानी हो जाती।

मज़हब,जाति से भी बड़ा वतन होता है;
बात यह यूंही सबको ज़ुबानी हो जाती।

गिले शिकवों में क्या रखा है छोड़ो तुम;
ईद औ होली पे ये बातें बेमानी हो जाती।

नफरत को छोड़ गर शान्ति की सोचें सब;
हर तरफ कुदरत की मेहरबानी हो जाती।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |