***बुरा वक़्त ***
सुनो ना….
बुरा वक़्त
जैसे …..
फ़टे जूते से
निकली कील
पैरों में चुभती है,
जैसे ….
हर मोड़ पर
खड़े कर्ज़दाता से
बचने की नाकाम सी
कोशिश,
जैसे ….
आधी रात को
फ़ोन की घंटी
बजने पर
बुरी ख़बर की दस्तक,
जैसे
खाली जेब में
मुह चिढ़ाती
ज़रूरी चीज़ों की
लंबी लिस्ट,
सुनो ना ……
बुरा वक़्त ना कभी बीतता है
बुरा वक़्त ना कभी भूलता है,
बस जीता रहता है
इंसान के भीतर
ना भूलने देता है ना बीतने………….
————————-प्रीति दक्ष