मुक्तक/दोहा

मुस्कुराती रहे माँ….

कि गूँजती रहे हिन्दी जहाँ के कोने-कोने तक
सशक्त रहे कवियों मे बालपन से वृद्ध होने तक
तेरे शब्द श्रृंगार पर मोहित है दुनिया हिन्दी माँ
मुस्कुराती रहे माँ जहां मे सूरज चाँद होने तक

रामेश्वर मिश्र 

रामेश्वर मिश्र

रामेश्वर मिश्र अभोली, सुरियावां भदोही, उत्तर प्रदेश मो-8115707312 9554566159 Email-- [email protected]