मुस्कुराती रहे माँ….
कि गूँजती रहे हिन्दी जहाँ के कोने-कोने तक
सशक्त रहे कवियों मे बालपन से वृद्ध होने तक
तेरे शब्द श्रृंगार पर मोहित है दुनिया हिन्दी माँ
मुस्कुराती रहे माँ जहां मे सूरज चाँद होने तक
— रामेश्वर मिश्र
कि गूँजती रहे हिन्दी जहाँ के कोने-कोने तक
सशक्त रहे कवियों मे बालपन से वृद्ध होने तक
तेरे शब्द श्रृंगार पर मोहित है दुनिया हिन्दी माँ
मुस्कुराती रहे माँ जहां मे सूरज चाँद होने तक
— रामेश्वर मिश्र