मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

बागवाँ बाग से चाहता वानगी

हो गहन ताप या हो विपिन ताजगी

दूर तक चाँदनी छा चले राह में

हो चलन कारवाँ या चलन ख़ानगी॥-1

जंगलों की विटप डालियाँ झूमती

फूल कलियाँ खिलें कोयली कूंकती

पर भरोषा कहाँ बीहड़ों ने दिया

आग जलती रही वन विपिन फूँकती॥-2

महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ