आएगी वो
तिश्नगी मेरी बुझाने आएगी वो
रोज हर मुझको रिझाने आएगी वो
बस गयी जब तीरगी दिल में तिरे तब
रोशनी बन जगमगाने आएगी वो
अफ़स़ना होगा शुरू तेरा मिरा अब
इक कहानी को गढ़ाने आएगी वो
जुम्बिशे-ए -इश्क करता ही रहा जब
इक जहाँ संग में बसाने आएगी वो
अर्ज मेरा प्यार पाने की कभी की
आज उसको तो फलाने आएगी वो
है न अब़्त़र आज मेरा अब तलक जब
देख अपने को गिनाने आएगी वो
अल न जानूँ मैं मनाने की तुझे जब
लोट फिर से अब सिखाने आएगी वो
तिश्नगी –प्यास
बीरगी –अँधेरा
अर्ज – प्रार्थना
अब़्त़र –मूल्य
अल — कला
डॉ मधु त्रिवेदी