गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

दुअम्ली पाक सेना हार कर आजरफ़िशां क्यूँ हो
हमेशा ही हमारे वीर सैनिक खूंचकाँ क्यूँ हो ?
किया है प्यार जब उसने, विरह में तब फुगाँ क्यूँ हो
बता सकता नहीं दिलकी, दहाँ में फिर जबाँ क्यूँ हो ?
किया आतंक से जर्जर अमन अब वादि-ए-कश्मीर
करे जय गान पाकिस्तान की, वो राजदाँ क्यूँ हो ?
चमन के बागवां है, मानता है फूल को बच्चे
गुलों को तोड़ने वालों पे’ माली मेहरबां क्यूँ हो ?
न वो अपना हठीलापन को’ छोड़ा, मैं वसूलों को
अनादर जब मिला तो क्यों कहे तुम सरगिराँ क्यूँ हो ?
मुहब्बत से किया इनकार, सभा में भी किया रुसवा
नहीं काबिल, तेरे घर के वो’ संगे आस्ताँ क्यूँ हो ?
कफस सैयद का’ था सोने का’ आज़ादी कहाँ उड़ना
जहाँ परवाज़ प्रतिबंधित, वो’ अपना आशियाँ क्यूँ हो ?
नहीं इनकार जब तुमको कि मुझसे प्यार तुम करती
अगर सच है यही, तब प्यार आखों से निहाँ क्यूँ हो ?
गलत है भावना में दोष औरों पर लगाना दोस्त
है’ गलती किसकी’ जाने बिन कशाकश दरमियाँ क्यूँ हो ?
है’ जब आमाल जिम्मेदार, खुद मानव तबाही की
स्वयं फाँसी लगाया और दोषी आसमाँ क्यूँ हो ?
लिया है फैसला तुमने, न दिल अब तुम मुझे दोगे
मिलाया दुश्मनों से हाथ, तो मेरा इम्तिहाँ क्यूँ हो ?
पडोसी किन्तु ‘काली’, है कहाँ वो मित्रता उनसे
अगर हम दोस्त बन सकते नहीं, तो नीमजाँ क्यूँ हो ?

शब्दार्थ : दुअम्ली = जिसका दो हुकूमत हो
आजरफ़िशां=आगवर्षक, खूंचकाँ=रक्तरंजित
फुगाँ=कराह, आर्तनाद ; दहाँ= मुहँ
सरगिराँ=नाराज ; संगे आस्ताँ=चौखट का पत्थर
निहाँ=गायब , कफस= पिंजड़ा , कशाकश =असमंजस
नीमजाँ= अधमरा
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !