राजनीति

सोच

कितना अच्छा होता जब 130 करोड़ लोगों की आवाज एक स्वर में आती, जिससे कि सरकार भी तैयार हो जाती आर या पार की लड़ाई करने के लिए। लेकिन इस हिंदुस्तान में ,मेरे इस भारत देश में यह 130 करोड़ की जनता बटी हुई है ,इस तरीके से बटी हुई है कि इन लोगों को इकट्ठा करना असंभव सा लगता है । ऊंचा नीचा ,अमीर-गरीब, जाति ,धर्म ,मजहब ,श्वेत ,अश्वेत भाषाई तौर पर ।
मेरी गुजारिश है जितनी भी मीडिया ,अखबार या रेडियो पर प्रोग्राम आते हैं क्रमबद्ध शैली में कुछ ऐसा तैयार किया जाए,लगातार उसका प्रसारण किया जाए ,लगातार उसको प्रसारित किया जाए, प्रचार किया जाए ,जिससे कि यह 130 करोड़ की जनता एकजुट हो जाए ।
इनमें इर्ष्या, ग्लानि, द्वेष की भावना कभी पैदा ही ना हो। जिस समय 130 करोड़ लोग एक स्वर में बोलेंगे दुनिया की कोई भी ताकत हिंदुस्तान को हरा नहीं सकती ,लेकिन इन सब के लिए 130 करोड़ की जनता को एकजुट होना बहुत जरूरी है ।
सवाल यह है कि होंगे कैसे ? क्योंकि बहुत सारे लोग हैं जो अपनी मानसिकता थोपते हैं अशिक्षित समाज पर , वहीं बंटवारे के सूत्रधार होते हैं। सामाजिक बंटवारे के । क्यों ना एक ऐसी भावना हो एक झोपड़ी में रहने वाला भी और एक महल में रहने वाला भी दोनों हिंदुस्तान की रक्षा के लिए कंधे से कंधा मिला खड़े हो ।
राजनीतिक पार्टियां सदैव अपनी रोटियां सेकते हैं लोग दिन-प्रतिदिन देखते हैं कि कहीं पर कोई भी राजनीतिक बढ़त या राजनीतिक फायदे के लिए कोई घटना होती है तो वहां पर विभिन्न पार्टियों के नेतागण पहुंच जाते हैं अपनी संवेदनाएं प्रकट करने के लिए अब यहां पर बात मात्र औपचारिकता पूरी करने की है वह केवल औपचारिकता पूर्ण करने के लिए आते हैं जिससे कि उन्हें वोटों में बढ़त मिलती है इस बात को जनता को समझाना बहुत ही जरूरी है मेरे यहां पड़ोस के गांव बामला में OROP के संदर्भ में राहुल गांधी ,अरविंद केजरीवाल गांव में आए थे, एक समय ऐसा लगा जैसे पीपली लाइव चल रहा हो मात्र राजनीतिक फायदे के लिए, अब उस परिवार को कोई नहीं पूछता और यही सच्चाई है पूरे हिंदुस्तान की, और हां शासन करने वाली पार्टी के नेता भी ऐसे ही व्यवहार करते हैं ।
कोशिश यह करें कि आप किसी भी राजनीतिक व्यक्ति जो कि भ्रष्टाचार और देश के अहित में लिप्त है उससे प्रेरणा नहीं लेनी चाहिए। आप स्वयं सोचे कि यह मेरा देश है और मुझे इसे आगे बढ़ाना है स्वच्छ व्यवहार और स्वच्छ राजनीति से। प्रजातंत्र होने के नाते प्रधानमंत्री या किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति हमारा खुद का चुनाव हुआ होता है ,तो उसका आदर करना भी हमारा कर्तव्य बनता है । ऋषि मुनियों का देश है यह ,लेकिन औछी मानसिकता के कारण जगह जगह दंगे फसाद होते रहते हैं ।
हिंदू हो या मुस्लिम सिख इसाई सबको देश प्रेम का एक पाठ एक ही स्वरलहरी में समझाया जाए जिससे की सभी की आवाज एक हो।
धर्म विशेष को फायदा पहुंचाना भी राजनीति है और बहुत बड़े पैमाने पर चल रही है जिससे की अस्थिरता पैदा हो रही है धीरे-धीरे।
राज्य सरकारें ,जिला प्रशासन और गांव की ग्राम पंचायत का यह दायित्व होना चाहिए कि वह आने वाली पीढ़ियों में देश प्रेम की भावना कूट कूट कर भर दे । मदरसा हो स्कूल हो विश्वविद्यालय हो देश को सर्वप्रथम रखना चाहिए ताकि वह देश पर आज भी ना आने दे,
किसी भी प्रकार की चुनौती के लिए। यह देश वीरों का देश है ,मेरा भारत महान यूं ही नहीं कहते।

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733