गीतिका/ग़ज़ल

आजकल रख़ना ज़रूरी है नज़र हालात पर

आजकल रखना ज़रूरी है नज़र हालात पर
क्या पता की रूठ जाए कौन कब किस बात पर

की बहुत बातें ज़िन्होनें नीति की व्यवहार की
आ गये वो भी सियासत की उसी औकात पर

काश ऐसा दौर भी देखे कभी तो ज़िन्दगी
आदमीयत जब पडे भारी धरम पर ज़ात पर

मोल इन खुद्दारियों का क्या उन्हें मालूम जो
पल रहे हैं चंद टुकडों की मिली ख़ैरात पर

लड़ रहा है देखिये हिम्मत लिये क्या बात है
एक दीपक पड़ रहा भारी अँधेरी रात पर

नाम पर भगवान के होने लगा व्यापार जो
है कुठाराघात ये आदम के अहसासात पर

चंद रुपयों में वफ़ा ईमान ग़िरवी रख दिये
हैं तभी चुप वो गरीबों से जुड़े मसलात पर

सतीश बंसल
१८.०७.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.