ग़ज़ल-हम बच्चों से सीख रहे हैं
रिश्तों के पुल टूट गये हैं.
तट ने कितने जख़्म सहे हैं.
उसका सच भी झूठा लगता,
उसने इतने झूठ कहे हैं.
लाख रहे मज़बूत किले पर,
होकर सब कमज़ोर ढहे हैं.
तट के साथ रुकी कब नदिया,
तट कब उसके साथ बहे हैं?
मौत हुई बूढ़े ख़्वाबों की,
फिर जन्मे कुछ ख़्वाब नये हैं.
इन्टरनेट का युग आया है,
हम बच्चों से सीख रहे हैं.
डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो. 09415474674