कविता

सावन…

ये मौसम !
न जाने कौन सा रंग लाई
बहारों में….

सावन की रिमझिम फुहार
पर यूँ लगता है जैसे !
आसमान में छाई…..
मनहूसियत उदासी की
काली घटाएं…..

शायद, वजह हो तुम !
वीरान उजड़ा सा मन
तुम्हारे आलिंगन को
तरस रहा कब से…..

सावन की बरसती बारिश
सौंधी मिट्टी की खुशबु…..
पक्षियों की चहचहाहट
एक तुम्हारे न होने की कमी

विरह की जलन !
पल-पल बढ़ती जाती….
सम्भाले नहीं संभलती
अब ख्वाइशें दिल की !

नस-नस में दौड़ रही….
आरजू एहसासों की !
उत्तेजित हो रहा
तुम्हारे ख्यालों से
मन का मौसम….

कि आ जाओ साजन
आया सावन…..

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]