हर तरफ़ खुशियाँ नज़र आने लगीं मुझको
हर तरफ खुशियाँ नज़र आने लगी मुझको
दर्द में भी मुस्कुराना आ गया जब से।
हर कदम पर मिल रही हैं रोशनी मुझको
दीप अंतस का जलाना आ गया जब से।।
हौंसले जब पथ प्रदर्शक हो गये
राह के काँटे निर्रथक हो गये
जो विरोधी थे हमारे वे सभी
मारकर मन मूक दर्शक हो गये
जी रहा हूँ ज़िन्दगी को ज़िन्दगी जैसा
मुश्किलों पर पार पाना आ गया जब से…
हर कदम पर मिल रही हैं रोशनी मुझको
दीप अंतस का जलाना आ गया जब से…
जख़्म सी कर आँसुओं की धार से
जी रहा हूँ प्यार से बस प्यार से
ज़िन्दगी का सच समझ जब आ गया
दूरियाँ खुद बन गयीं तकरार से
जीत की खुशियाँ भला क्या हार का क्या ग़म
रश्म जीवन की निभाना आ गया जबसे…
हर कदम पर मिल रही हैं रोशनी मुझको
दीप अंतस का जलाना आ गया जब से…
जाति मज़हब वर्ण का ये सिलसिला
फैलता ये नफ़रतों का जलज़ला
सोचकर के आप ये बतलाइये
नफ़रतों से क्या भला हमको मिला
जी रहा हूँ मैं खुशी से जाति मज़हब के
भेद को दिल से मिटाना आ गया जब से…
हर कदम पर मिल रही हैं रोशनी मुझको
दीप अंतस का जलाना आ गया जब से…
कर रहा हूँ मैं गुजारिश आपसे
एक छोटी सी सिफ़ारिश आपसे
सूखता इंसानियत का ये चमन
चाहता है प्रीत बारिश आपसे
खिल रहे हैं मन चमन में फूल खुशियों के
दूसरों के ग़म उठाना आ गया जब से
हर कदम पर मिल रही हैं रोशनी मुझको
दीप अंतस का जलाना आ गया जब से…
सतीश बंसल
१६.०५.२०१७