लघुकथा

लघुकथा : खुशी भरा पौधा

रीमा अपने कुत्ते साथ घूमने जा रही थीरीमा ने देखा कि धडाधड पेड़ काट ढेर लगा हुआ था ये दृश्य देख मन बहुत दुखी हुआ रीमा ने बूट सुईट में मोटी तोंद वाले अफसर को पूछा ,”ये आपने सो के करीब पेड़ काट दिए जो सभी फलदार और पुराने थे ,क्या अब नये भी लगवाओगे |” ठेकेदार बोला ,” जी मैम् !यहाँ पुडा की कालोनी कट रही हैप्लाट निकलने हैं उसी हिसाब से पेड़ भी लगाने हैं |ये ठेका जंगल डिपारटमेंट का हैं ,जो मुझको दिया गया हैं |” उन गिरे पेडो को ट्राली में ले जाते देख मन आहत सा रहा ,पर जब नये ढेर से लाये पौधे करीने से लगाये जाने लगे ,तो देख मन खुशी की किरण ले बैठा |
रीमा पति के साथ कुर्सी पर बैठी गर्मी से परेशान उठकर घुमती कभी नये लगे हुये पौधों,कभी दूर आसमान में बादलों को घिरते तलाशते बोलती, “हे इन्द्र देव ये आप की कैसी माया हैकैसी घोर गर्म हवा और पानी की कमी में ऊपर से पर्यावरण का सकंट है|” हें! प्रभु कब बारिश होगी शायद पेड़ कमी और सावन बारिश प्रतीक्षा में घोर पाप से कलियुग विनाश न हो|” रीमा पूजापाठ करते हुए सोच रही थी कीखीर-पूड़े खिलाए जाएँ गरीबों को तो शायद वर्षा होगी और फिर सब जगह लगा खुशी भरा पौधा बढ़ेंगा |

रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]