खिला जब फूल चम्पा चमन चाहत के नजारो में कि जैसे एक नया कोपल निराला बन बहारो में| मिले जब ताजगी आती महक भी मन लुभाती सी चला लेकर सुनाने को मग्न मन भी निहारों में| घुमे खग भी दिखे उड़ते निकल अपनी पनाओ से बुला सब को सुनाये गीत मनभावन इशारों में| भरी प्यारी […]
Author: *रेखा मोहन
नया बर्ष
बाय बाय पुराना कह नया बर्ष को मनाना चाहिए कमी हुई जो सोच फिर खुद को आज़माना चाहिए. अतीत मोह से नवल युग में पग लेकर चलो आदतों में पाया सा होकर ही सब जमाना चाहिए. बाय बाय पुराना कह नया बर्ष को मनाना चाहिए नियम लिए ही बढ़ते हुए आगे को निभाना जाने प्रेम […]
गीतिका
हरे तम को हमेशा रौशनी आधार पाने दो शिक्षा पढ़ते हुए बड़ा उपकार पाने दो बड़ो साथ चलते कदम बढ़ते नापते हम हमे खुद तनिक बदले यहाँ उपचार पाने दो हुई भर्त्सना सबसे यही अपमान मन पाया शिक्षक बनके मुझको आज आभार पाने दो पढ़ा हो सदा जग चमक उजियारा सुनाना दो नहीं टोको अभी […]
गीत
चांदनी छुपके देखे बदरिया से चंदा खड़ा मुसकाय सजनी खड़ी देखे छलनी में पिया अब मिल जाये | छत की मुडेर से दर्शन पाके मट्ठी का भोग लगाय करवा हिला मिल भाभी तरह आकर व्रत दे खुलाय| सजनी खड़ी देखे छलनी में पिया को मिल जाये || साजन चाँद में देखू और दिल की धडकन […]
अनजान यौवन
रीमा के घर के पास हर समय आवाजें आती थीं, “मर क्यों नहीं जाती कमली| कोई काम नहीं आता, न अक्ल-सहुर बस हर वक़्त दांत निकालती रहती हो|” ये गरीब पड़ोसन आमदन कम होने की वजह से घरों में काम करती थी| बेटे को सब्जी की रेहड़ी लगवा दी और बेटी कमली को लापरवाह और […]
फिजूलखर्ची
कुछ दिन के लिये पिताजी गांव से भाई के पास शहर में रहने आये| पिता ने सुबह उठते ही न्यूज पेपर्स के बीच कुछ ढ़ूंढ़ते हुए पुत्र से पूछा–“तुम कोई हिन्दी का समाचार पत्र क्यों नहीं लेते ?’ “अरे पापा हिन्दी से कब किसका भला होंने वाला है ? जिन्दगी में कुछ बनने के लिये […]
ग़ज़ल
करो काम वरना गुज़ारा नहीं। जगत में किसी का सहारा नहीं। अभी तक नहीं आप आए यहाँ, न कहना कि हमने पुकारा नहीं। विपति काल में ईश ही साथ है, दिखा और कोई हमारा नहीं। रही ज़िन्दगी तो मिलेंगे कभी, मुलाक़ात पर कुछ विचारा नहीं। बहुत ठोकरें खा चुके हम यहाँ, अधिक और सहना गँवारा […]
गीतिका
दिखे नसीव निराशा, कदम उठाया है अधिक सोच लिए सा बड़ा दिखाया है| गरीब सोच बड़ा सा , यकीन धन पाना नकदी से हो कारज, लगे निभाया है | गरीब साथ दुखो का अजीव नाता है, अमीर आस लिए हक ,तलाश लाया है| लगी शरीर बिमारी, सदा छुपाता है मिले अगर जो खाना, दास बताया […]
ग़ज़ल – साल नया
सबकी अपनी मन की अलग मुरादें हैं, सबकी खाली झोली भर दे साल नया चलते रहना ही जीवन तू रुकना मत जीवन की ये रीत सिखाये साल नया क्या खोया क्या पाया इस बीते कल में लेकर हाथ तराजू तोले साल नया नफरत मिटे दिलों में जो भी हो सबके उपवन प्रीती का महकाये साल […]
गीतिका
नये युग मिले मंजिल सबको, पग-पग चलने से आती बाधा छँट जायेंगी, रह रह बढ़ने से। मेरे दाता जीना सुख ले, काम कर- ठर थकते सब आपदा गुजरे सुगम सी,तिल-तिल टलने से। भाग्य साथ वक्त लगा हाथ , जबतक दम में दम, पाया जो थमा जाना जोड़, पर-फर लगने से। ये जो पाया कल वो होगा,मन […]