गीतिका
दिखे नसीव निराशा, कदम उठाया है अधिक सोच लिए सा बड़ा दिखाया है| गरीब सोच बड़ा सा , यकीन धन
Read Moreसबकी अपनी मन की अलग मुरादें हैं, सबकी खाली झोली भर दे साल नया चलते रहना ही जीवन तू रुकना
Read Moreएक थका-माँदा शिल्पकार लंबी यात्रा के बाद एक छायादार वृक्ष के नीचे विश्राम के लिये बैठ गया। अचानक उसको सामने
Read Moreक्यों काटे तूने पेड़ लकडहारे ये पेड़ तो हर मन को प्यारे।। वृक्ष तो होता धरा का भूषण है इससे
Read Moreडोर रिश्तों की लगी ढीली. टूटती जब भी पड़े भार। इसमें भरी स्वार्थ गांठे. मीठी वाणी भर दे प्यार।।१ वचपन
Read Moreहंसती आंखें श्रमिक ख़ुशी दे जाती है जीवन की सब कमियाँ टल जाती है। चाह ! मेहनतकश हाथों की निशानी
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