लघुकथा

लघुकथा : सज़ा !

मीनू सुबह ही जल्दी सारे काम निपटा रही थी। ममी ने फोन पर घर आने को कहा था, सासु मां गुस्सा न करें इसिलिए सारे काम निपटा कर ही जाना चाहती थी। मायके में कुछ परेशानी चल रही थी, सासु मां को बता नहीं सकती थी ,डर भी लग रहा था कि क्या कहेंगे अभी दस दिन पहले तो आई थी ससुराल। सासु मां को महीने से पहले मायके जाना पसंद नहीं था पर मजबूरी थी मीनू ने सोचा थोड़ी बाते सुन लूंगी। ममी ऐसे कभी आने को नहीं कहते ज़रुर कोई ज्यादा ही बात बिगड़ गई है। सासु मां से डरते डरते पूछा और फटाफट निकल गई कहा ज़रुरी काम है जल्दी ही आ जाऊंगी। सासु मां मीनू के बर्ताब से भांप गए थे कि कोई बात है जो मीनू इतना परेशान दिख रही थी, शायद मुझसे छिपाना चाहती है बेटे से पूछा उसे भी नहीं पता था। मीनू ने घर पहुंचते ही मां से पूछा क्या हुआ मां भाभी अपने मायके से नहीं आई या भैया नहीं लेने जा रहे, दरअसल मीनू के भैया भाभी में बहुत झगड़ा हो गया था बात बिगड़ गई थी मीनू की भाभी घर छोड़ कर मायके चली गई थी , भैया जिद्द पर था कि खुद गई है खुद ही आएगी। भाभी भी कहती जब तक संजय खुद लेने नहीं आते वह नहीं आएंगी। मीनू बहुत परेशान थी मन ही मन सोच रही थी कि जब उसका अपने पति अजय के साथ झगड़ा होता है उसके मन में भी कईं बार यही आता है कि घर छोड़ कर चली जाऊं पर ससुराल वाले कितने असहाय हो जाते हैं पति पत्नि की लड़ाई में। मां का तो कोई कुसूर नहीं है वह मनाने भी गईं थी मीनू के साथ पर भाभी ने मना कर दिया कहा संजय ही लेने आएंगे माफी मांगेगे तो ही जाऊंगी। मीनू के ममी पापा को बिना वजह सज़ा मिल रही थी, मीनू के ससुराल में भी थोड़ा असर तो पड़ा था मीनू की परेशानी का अंजान ही सही पर पड़ा था। आखिर सभी के समझाने पर संजय झुकने को तैयार हो गया और भाभी को घर ले आया. मीनू भी रो पड़ी थी, और खुश भी थी कि मायके में खुशी लौट आई थी।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |