गीतिका/ग़ज़ल

बदलता वक्त हूँ,

बदलता वक्त हूँ,

बदलता वक्त हूँ, जाने मेरा अंजाम क्या होगा ?
सुनाई दे रहे नामों में मेरा नाम क्या होगा ?
यहां बिकती सभी चीजें है जिनका मोल लाखों में,
बना अनमोल फिरता हूँ तो मेरा दाम क्या होगा ?

निकल पड़ता हूँ, नदियों में समंदर भी मिले तो क्या ?
अभी जो है ये नजराना मेरा ईनाम क्या होगा ?

लगा रखा है तेरा नाम अपने नाम के संग मे,
हुआ रौशन जमानें में, तो अब बदनाम क्या होगा ?

हुई नेमत जो शिव की तो, मिली है रौशनी हमको,
नहीं अब सोचना कुछ भी मेरा परिणाम क्या होगा।

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) [email protected] जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,