कविता

छोड़ दिया।

दिल के सब दरवाजे तोड़े आना जाना छोड़ दिया। हँसने से भी डर लगता है तो मुस्काना छोड़ दिया।। जिसको जग में मान खुदा लो तन मन भी ग़र सौंप दिया, उसने ही तो सब कुछ छीना साथ निभाना छोड़ दिया। जिस डाली पर फूल खिले हों उसको ही सब नोच रहे, गुलशन ने भी […]

कविता

हाँ, मैने देखा है!!!

हाँ मैने देखा है!!! बलात्कार के बाद कैंडिल मार्च निकालते हुए रैलियां करते हुए लोगों को सड़कों पर उतरते हुए विरोध करके फोटो खिचवाते हुए दोषियों को सजा-ए-मौत मांगते हुए अच्छा लगता है पर…… मैने ये भी देखा है एक्सीडेंट के बाद लोगों का बगल से निकल जाते हुए छेड़छाड़ होते देख मुँह फेरते हुए […]

कविता

प्यार की लकीरें,

प्यार की लकीरें, देखो ना! कितना प्रेम करते हैं, मेरे पति मुझसे…… उकेर देते हैं मेरे जिस्म पर प्यार की लकीरें, जो याद दिलाती हैं, कई दिनों तक मुझे, ज्यादा हो गया था, सब्जी में नमक……..मानस

सामाजिक

देंहव्यापार

देंहव्यापार वैश्यालय समाज का ऐसा हिस्सा जिससे समाज अछूता नही पर मान्यता नही मिलती….आखिर क्यों?????? सोचा है कभी अगर नहीं तो एक बार कुछ समय निकालकर अवश्य सोचें!!!! मुम्बई का रेड लाइट एरिया, कलकत्ता का सोनागाछी, दिल्ली का जीबी रोड… हर शहर की एक ऐसी बदनाम जगह होती है आप भी जानते हैं। ये तो […]

गीत/नवगीत

आओ प्रीत बदल लें हम।

इक बात आयी है दिल में आज, आओ प्रीत बदल लें हम। मै धड़कूँ तेरे सीने में, जीवन संगीत बदल लें हम।। कुछ दिन मै भी चैन से सोलूँ, और तुम जग लो रातों को। सुबह शाम हर वक्त हर घड़ी, सोचे मेरी बातों को।। हरपल जिसको गाता रहता, वो हर गीत बदल लें हम। […]

कविता

हक़ीकत

आजकल हक़ीकत ख्वाबों से निकलकर, पूछती कहाँ है…? किस ओर जा रहे हो, और जाना कहाँ है…? हर शक्स परेशान है यहाँ जिये कहाँ थे, और जीना कहाँ है..? समय का आवरण नहीं देर करता है। उसे फर्क नहीं, आपने क्या खोया, और क्या पाया…? पल-पल घिसती उम्र सुख दुख से अलग नहीं एक ओर, […]

राजनीति सामाजिक

#ये_देश अब्दुल हमीद का है,

#ये_देश अब्दुल हमीद का है, अब्दुल कलाम का है, रसखान, वीर सावरकर, चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह का है। ये देश हमारा है, हम सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों का है पर मट्ठीभर वोटप्रिय नेता इसे हिन्दू-मुस्लिम का देश घोषित कर रहे हैं। जानते है क्यों?????? क्योंकि हम अन्धे होकर उनका अनुशरण कर रहे है। वो अच्छे से […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

#भूमिका_रामावतार_की #भाग-1…..#मानस

#भूमिका_रामावतार_की #भाग-1…..#मानस भूमिका अर्थात आने वाली घटनाओं के लिए पृष्ठभूमि पूर्व से स्वतः ही बनने लगती है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि जब-जब धरती पर अधर्म बढेगा तो किसी न किसी रूप में आकर मै धर्म की रक्षा करूँगा। भगवान विष्णु ने जब राम का अवतार लिया तो उसके लिए कितने ही […]

कविता

शंका के बादल

घिरा हूँ, शंका के बादलों के बीच मुझे निकालो ना! डर है, कहीं डूब न जाऊँ खामोशी में मुझे सम्भालो ना! छूटी उम्मीद, खुद से खुद के जीतने की मुझे बचा लो ना! हर वक्त ढकेला जाता हूँ पुरानी परछाइयों में मुझे छिपा लो ना! …….#मानस

उपन्यास

भूमिका, घाट-84 “रिश्तों का पोस्टमार्टम” .डाॅ शीतल बाजपेई

भूमिका कविता सिंह तथा सौरभ दीक्षित “मानस” की संयुक्त रूप की यह पहली कृति है पर ऐसा बिल्कुल भी नही लगा मुझे,, बल्कि ऐसा लग रहा था कि मैं मंझे हुए लेखकों को पढ़ रही हूँ। आप जब कहानी पढ़ना आरम्भ करेंगे तो विश्वास कीजिये आप स्वयं को पूरी कहानी पढ़ने से रोक नही सकेंगे, […]