गीत/नवगीत

आओ प्रीत बदल लें हम।

इक बात आयी है दिल में आज, आओ प्रीत बदल लें हम।
मै धड़कूँ तेरे सीने में, जीवन संगीत बदल लें हम।।

कुछ दिन मै भी चैन से सोलूँ, और तुम जग लो रातों को।
सुबह शाम हर वक्त हर घड़ी, सोचे मेरी बातों को।।
हरपल जिसको गाता रहता, वो हर गीत बदल लें हम।
मै धड़कूँ तेरे सीने में, जीवन संगीत बदल लें हम।।

मै जिसकी रचना हो जाऊँ, तुम वो रचनाकार बनो।
गीत, गज़ल और छन्द विधा का, ऐसा एक आधार बनों।।
जिसको कोई जीत सके ना, वो भी जीत बदल लें हम।
मै धड़कूँ तेरे सीने में, जीवन संगीत बदल लें हम।।

मैं तेरी मीरा बन जाऊँ, और तुम मेरे कान्हा हो।
मै डूबूँ तेरी भक्ति में, तुम ही मेरा ठिकाना हो।।
सदियों से जो चली आ रही, वो हर रीत बदल ले हम।
मै धड़कूँ तेरे सीने में, जीवन संगीत बदल लें हम।।

एक बात आयी है दिल में आज, आओ प्रीत बदल लें हम।
मै धड़कूँ तेरे सीने में, जीवन संगीत बदल लें हम।।

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) dixit19785@gmail.com जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,