भक्षक पर रक्षक को वारे
भक्षक पर रक्षक को वारे , यह कैसी मनमानी ! इसी देश में राजा एक पक्षी के प्राण रक्षा हेतु अपना मांस दे दिया , महर्षि दधिची अपना हड्डी तक दान दे दिया / आज उसी देश में गौ मांस के लिए कैसे कैसे तर्क दिए जा रहे है / ज़रा उस समय की कल्पना कीजिये जब गौतम बुद्ध और महावीर जैन ने सभी जीवो पर दया करने का उपदेश दिया था / मेरे समझ से अगर आज बुद्ध और जैन होते तो इन्हें असहिष्णु होने की बात कौन कहे कब के मार दिए गए होते / दोनों सदन के माननीय आसमान सर पर उठा लेते और सेकुलर महात्माओं को चैलेन्ज देते हुए गाय सड़क पर नहीं मंदिर में जा कर काटते / गौ रक्षा को लेकर हिन्दुस्तान का इतिहास भरा पडा है , इतिहास के विद्यार्थियों के लिए यह शोध का विषय है की अतीत में जब कोई गौ रक्षा के लिए तलवार उठा लेता था तब भी भारतीय जनमानस ऐसे ही उद्वेलित हो जता था ? उस समय लोग गौ हत्यारों को किस निगाह से देखते थे /