ग़ज़ल – हौसला फिर कोई बड़ा रखिये
2122 1212 22
हौसला फिर कोई बड़ा रखिये ।
खुद के होने की इत्तला रखिये ।।
बन्द मत कीजिये दरीचों को ।
इन हवाओं का सिलसिला रखिये ।।
हार जाएं न कोशिशें मेरी ।
मेरे खातिर भी कुछ दुआ रखिये ।।
खो न जाऊं कहीं जमाने में ।
हाल क्या है जरा पता रखिये ।।
दुश्मनी खूब कीजिये लेकिन ।
दिल से जुड़ने का रास्ता रखिये ।।
गर जमाने के साथ है चलना ।
मुज़रिमों से भी वास्ता रखिये ।।
लोग मिलते यहां नकाबों में ।
कुछ हक़ीक़त यहां छुपा रखिये ।।
जिंदगी में सुकूँ ज़रूरी है ।
आसमां सर पे मत उठा रखिये ।।
है शुकूँ की अगर तलास बहुत ।
हुक्मरां से भी लस्तगा रखिये ।।
काम बिगड़े अगर बनाने हैं ।
तो खुशामद का पैतरा रखिये ।।
हो इजाज़त तो आप से कह दूं ।
पास अपने ये मशबरा रखिये ।।
बिक गया बाप पढाकर बेटा ।
काम के नाम घुनघुना रखिये ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित