“पिरामिड”
(1)
वे
खड़े
पहाड़
भीग रहे
दरक गए
बरखा बौछार
बह रहा गुमार॥
(2)
ये
बाढ़
बहाव
पानी पानी
टपके नैन
छत न छप्पर
नदी तलाव घर॥
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी
(1)
वे
खड़े
पहाड़
भीग रहे
दरक गए
बरखा बौछार
बह रहा गुमार॥
(2)
ये
बाढ़
बहाव
पानी पानी
टपके नैन
छत न छप्पर
नदी तलाव घर॥
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी