लघुकथा—माफ करना
जैसे ही कोई बीमार होता वैसे ही वह मुंहफट कहता,” अरे भाई ! आपने नौकरी में हाय या ब्याज का पैसा आ गया होगा इसलिए यह बीमारी लग गई.” जिसे सुनकर सामने वाला खिसियाकर रह जाता था.
एक दिन अचानक उस मुंहफट की बीवी फिसल गई. उसका हाथ टूट गया. लोग उस मुंहफट के घर दुख जताने आने लगे.
” क्या भाई ! आप के पास कौनसा पैसा आ गया जो इस रूप में निकल रहा है,” लोग उस से कहना चाहते थे मगर, लिहाज में चुपचाप मुस्करा कर चले जाते. वह उनकी आँखों की शरारत में झांकते प्रश्न को पढ़कर मुंह नीचे कर के चुपचाप हाथ जोड़ लेता.
— ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश्’