सुप्रभात
सूर्य की कोमल किरणे
हौले से तुम्हें जगा रही है
रुपहली सुबह तुम्हें अपनी आगोश में लिए
बहुत सारा प्यार देने को बेताब है
आँगन की हरियाली पर ओस बिंदु तुम्हें
लुभाने को बेक़रार है
आओ इस शुभ दिन में साथ निभाएं
सुप्रभात
— पंकज त्रिवेदी
सूर्य की कोमल किरणे
हौले से तुम्हें जगा रही है
रुपहली सुबह तुम्हें अपनी आगोश में लिए
बहुत सारा प्यार देने को बेताब है
आँगन की हरियाली पर ओस बिंदु तुम्हें
लुभाने को बेक़रार है
आओ इस शुभ दिन में साथ निभाएं
सुप्रभात
— पंकज त्रिवेदी