गीतिका/ग़ज़ल

गजल

सरकारी फाईलें है
कि बिना नोट के हिलती नहीं

बेचारे गरीब आदमी की
दाल है कि कभी गलती नहीं

खाने वालों के आगे
ईमानदारी ज्यादा चलती नहीं

हौंसलें उनके बड़े बुलंद है
सरकार है कि कुछ करती नहीं

आदमी परेशां यहां ता-उम्र
समस्यायें है कि मिटती नहीं

प्रसिद्ध तो बहुत है “प्रेमचंद” पर‚
बिन दियासलाई आग जलती नहीं

अर्थी को कंधा नसीब नहीं यहां
पत्थर के पुतलों में संवेदना जगती नहीं

न्याय बना कोठे की पाजेब यारों !
कड़वी सच्चाई है कि हजम होती नहीं

लूटेरो का लूटतंत्र है लूट रहा है
पर ये बेचैनी पीड़ा बन मसलती नहीं

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]