लघुकथा – संदेह
सेल्समैन राम अवतार ने पेट्रोल पंप से मालिक को फोन पर बताया, “लूटेरे पिस्तोल की नोक पर मुझसे सारा पैसा लूट ले गए हैं| पल में मुझे चारों तरफ से घेर लिया, जो कैश था सब खिंच एक मोटरसाईकल पर भाग गये|” अभी रात के दस बज रहे थे और मालिक कुछ मिनट पहले पट्रोल पंप से घर पहुंचे थे| मालिक राम अवतार की बात सुन के अचम्भे में आ गया और उससे बौखलाहट में कई बेहूदा सवाल पूछने लगा, “कितने आदमी थे, कैसे आये थे, कितना पैसा ले गए, तुमने रोकने की कोशिश की|” राम अवतार को इतने सवाल पूछने पर घबराहट और भय से अज्ञात आशंका सी मन को भयभीत करने लगी| कुछ अटपटे से सवालों को लेकर गुम सा खुद में खोया दूसरे सहयोगी कर्मियों से बात साँझा कर रहा था| उसे लगा पट्रोल पंप मालिक के पास वो बीस साल से ईमान्दारी से नौकरी कर रहा था और कभी पहले कोई घटना मालिक का भरोसे को तोड़ने वाली नही हुई थी| कुछ दिन पहले राम अवतार ने अपनी बेटी कि शादी के लिये कुछ अडवांस पैसों कि माँग की थी, पर मालिक ने कुछ जवाब ही नही दिया था| मालिक की बातचीत से अपने आप को संदेह के दायरे में पा राम अवतार बहुत आहत था| वो बाकि सेल्समैन के चेहरे पर भी अपने दोष को सोच पढ़ने लगा था| कुछ ही मिनटों में मालिक पट्रोल पंप पर आये और फिर वही सवाल जवाब दोवारा हुये| कुछ देर बाद पुलिस पहुँच गई और सीसीटीवी की फूटज खंगाली गई| सारी लूट का क्लिप कैमरे मैं कैद था| राम अवतार को पुलिस ने शक के दायरे से बाहर किया| लेकिन राम अवतार के मन में मालिक के संदेह और अपनी जान सुरक्षा प्रति खटास पर्त बरकरार थी |
— रेखा मोहन २७/७/२०१७