*गीतिका *
मै तेरे करीब आने से पहले !
रोई बहुत मुस्कुराने से पहले !!
जलती रही मै शामो-सहर !
आया कहां जल जाने से पहले !!
बनकर मै मोम पिघलती रही !
ठंडक कहां मुझको जमाने से पहले !!
नही फिक्र थी तुझको मेरी जालिम!
तड़पती रही मै गुनगुनाने से पहले !!
तुझको तो था बाजार पसन्द !
था कहां मिट जाने से पहले !!
बिकते कहां फूल बिना भाव के !
आशिक बहुत सिर उठाने से पहले !!
थी हसरतो की सुन्दर सी माला !
महज अश्को के बिखर जाने से पहले !!
—-प्रीती श्री वास्तव.