ग़ज़ल
हटा नक़ाब जो कहने को दास्ताॅं के लिए। वो फिर से झूम के नाची थी इस जहाॅं के लिए।। सुनी
Read Moreहाल दिल का कभी बता देते। और हौले से मुस्कुरा देते।। पास आकर कोई ग़ज़ल कहते। हम भी शिकवे सभी
Read Moreख़ाक में मिल जाना भी आसान नहीं होता। दर्द में मुस्कुराना भी आसान नहीं होता।। फूल खिलते हैं हजारों बगिया
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