गज़ल
जब बेकसूरों को सताया जाएगा,
मासूम लोगों को रूलाया जाएगा
बदलाव की उठेगी फिर आँधी यहाँ,
ज़ालिम हुकूमत को भगाया जाएगा
देश को होगी ज़रूरत जब कभी,
खून पानी सा बहाया जाएगा
किस्सा उन शहीदों की शहादत का,
रहती दुनिया तक सुनाया जाएगा
दुनिया देगी ज़ख्म पहले तो तुमको,
फिर नमक उन पर लगाया जाएगा
बुराई खुद की भी जलाओ तो सही,
रावण तो हर साल जलाया जाएगा
— भरत मल्होत्रा