सामाजिक

भक्षक पर रक्षक को वारे -२

लोग पहले भी मांस खाते थे , आदि मानवों का तो मुख्य भोजन ही मांस था , स्वाद के लिए नहीं ! उदार पूर्ति के लिए ! राजे महराजे भी जंगली पशुओ का शिकार करते थे और उसका मांस खाते थे लेकिन कम से कम दुधारू पशुओ और कृषि कार्य में आने वाले बछड़ो का वध नहीं करते थे / मांस खाने में कोई राजनैतिक निहितार्थ नहीं होता था , कोई धार्मिक प्रतिशोध नहीं होता था / यह संस्कृति कंहा से और कब आया बहस का विषय है ? मुग़ल आये , वध्य पशुओ की कोई कमी नहीं थी लेकिन वे अपना सारा ध्यान गौ पर ही केन्द्रित किये / इसका निहितार्थ समझना बहुत मुश्किल नहीं है , बस वोटबैंक का चस्मा उतारना होगा / वे गौ मांस इसलिए खाते थे क्योकि वे जानते थे की हिन्दू गौ की पूजा करते है और उसके लिए अपनी जान भी दे सकते है / मुगलों के पास हिन्दुओ को अपमानित करने का इससे अच्छा कोई बहाना नहीं था और वे इसी बहाने हिन्दुओ के ताकत और उनके लोभ को आजमाना चाहते थे / लेकिन हमारा लोकतंत्र तो मुगलों से भी ज्यादे गौ भक्षक हो गया है / बीफ पर तर्क देने वाले सूअर पर तर्क क्यों नहीं देते ? किसी ऐसे इस्लामी मुल्क का नाम बताइये जहा सूअर धड़ल्ले से कटता हो ? आज जो कुछ हो रहा है उसके लिए मुसलमान कम हिन्दू ज्यादे दोषी है / जैसे कल हिंदुत्व के रक्षा का सारा भार राणा प्रताप और शिवा जी पर था आज मोदी पर है / हिन्दू कल भी नपुंसक था और आज भी है /

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104