हिमालय सदा खड़ा रहेगा
अनोखा अद्वितीय देश हमारा
जहाँ पहुंच अनजान पथिक को
मिलता सम्मान सहारा ।।
जहाँ प्रथम मानव ने खोली
अपने नयनों की ज्योति थी ,
जहाँ प्रथम अरुणोदय हुआ
धरती पर किरणें बिखरी थीं।
जिस धरती को चाँद सूरज
साँझ- सवेरे रोशन करते हैं ,
जिसकी मिट्टी में पारस है
वे स्वर्ण भूमि देश भारत है।
आगमन पर षड् रितुओं के
नव पंछी गीत सुनाते हैं ,
सागर की लहरें टकराती हैं
विंध्याचल के चट्टानों से ।
मानवता का महा बिंदु यह
भारत सबसे बड़ा रहेगा
सबसे ऊंची विजय पताका
हिमालय सदा खड़ा रहेगा।
— निशा नंदिनी गुप्ता
तिनसुकिया, असम