गज़ल
अपने कौन, बेगाने कौन,
किस्से छेड़े पुराने कौन
सबको चाहत खुशियों की,
गम से करे याराने कौन
खुद से ही हम रूठ गए हैं,
आए हमें मनाने कौन
कीमत है यहाँ चेहरों की,
दिल के दर्द को जाने कौन
गज़ब की उनकी तीरंदाजी,
नज़रें कहाँ, निशाने कौन
पैसे वालों की महफिल में,
मुफलिस को पहचाने कौन
लहूकशी का दौर है साहब,
जाए अब मैखाने कौन
— भरत मल्होत्रा