गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

देशज गीतिका, मात्रा-भार-22, समांत- आर, पदांत- हो गइल…….

जे पतुरिया के अँचरा उघार हो गइल

माथ ओकरा अंहरिया सवार हो गइल

दुईज़ चंदा नियन उग जे बिहरत रहे

उ अमावस के जइसन भेंकार हो गइल॥

मन बिगड़लस जे आपना बना ना सकल

ओकर जिनगी व रहिया पहार हो गइल॥

दूर से निम्मन लागेला झूकल गगन

पाँव छाला पड़ल गति बेकार हो गइल॥

भूले पगडंडी पातर जे उड़ल बहुत

ऊ अइसन हेराइल की गँवार हो गइल॥

कौनों कोने में जाके छंहा ल तनिक

ई उभरल पसीना भर लिलार हो गइल॥

गोरा अँचरा तुहार दरकिनार ‘गौतम’

देख झिलमिल झरोखा बीमार हो गइल॥

महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी

 

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ