आखिर लालू ने गठबंधन तोड़ ही दिया
वैसे सतही तौर पर और लालू जैसे सोच वालो की तरह सोचे तो लगेगा की गठबंधन को नितीश ने तोडा है लेकिन जैसे कोई खबर महत्वपूर्ण नहीं होता उस खबर के पीछे क्या है वह महत्वपूर्ण होता है उस ढंग से सोचेंगे तो साफ़ साफ़ लगेगा की गठबंधन को लालू ने तोड़ा है. फिर भी इस प्रकरण में नितीश ने शराफत की सारे हदे पारकर गठबंधन बचाने का पूरा प्रयास किया था. लालू का यह बयान कितना बचकाना लगता है की नितीश कुर्सी के लिए गठबंधन तोड़ दिए जबकि नितीश के पास कुर्सी तो पहले से ही थी और लालू में इतनी हिम्मत नहीं थी की वे उस कुर्सी से कोई छेड़छाड़ करते./अब ज़रा नितीश के शराफत पर गौर कीजिये / नितीश मुख्यमंत्री थे , वे तेजश्वी से स्तीफा मांग सकते थे न देने पर बरखास्त कर सकते थे जिससे उनकी सुशासन बाबु की छबी और निखरती लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया उलटे ऐसा न करके तेजश्वी से आग्रह करते रहे की राजनैतिक यान बाजी न करके अपने बेगुनाही का साबुत पेश कीजिये , मतलब गठबंधन को अंतिम दम तक बचाने का प्रयास करते रहे / यदि नितीश जी तेजश्वी को बर्खास्त कर देते तो भी लालू समर्थन वापस न लेते और लेते तो गठबंधन तोड़ने का सारा दोष राजद पर जाता / लालू वादियों की बात छोड़िये , हर समझदार ब्यक्ति कहता की लालू ने बेटे के लिए सरकार गिरा दी / और उसके बाद वाही होता जो आज हुआ है / लेकिन नितीश ने परिस्थितियों से कोई फायदा न उठाते हुए कदम कदम पर तेजश्वी को सम्हलने मौक़ा दिया / नितीश ने तो राहुल और लालू से भी मिलकर गठबंधन बचाए रखने का प्रयास किया / लेकिन लालू अपने , जैसी उनकी प्रबित्ति रही है दहलेंगाई से बाज नहीं आ रहे थे / नितीश c b i है जो हम उसे सफाई दे , इतना कटु बचाब सुनने के बाद भी नितीश तेजश्वी को न बर्खास्त कर खुद स्तीफा दे दिए / अब लालू कह रहे है की नितीश कुर्सी के लिए गठबंधन तोड़ दिए जब की नितीश तो मुख्मंत्री थे ही / राहुल कह रहे है की यह तो हमें तिन महीने पहले से मालूम था / अब जैसा की कांग्रेसी चाहते है अगर इन्हें प्र म बना दिया जाय और चीन पकिस्तान हमला कर दे तो ए यह कहकर निकल जायेंगे की यह तो हमें पहले से मालुम था / गठबंधन टूटने से एक फायदा जरुर हुआ है की लोगो को समझ जाना चाहिए की यह गठबंधन क्यों बना था /