लालूजी की उल्टी बातें
अभी पूर्व से मुर्गा बोला, सूरज ने दे दी है बांग।
लालूजी कवितायें लिखते, ऐसी ही कुछ ऊंट पटांग।
कौआ भोंक रहा है भों भों, शेर बोलता म्याँऊ -म्याँऊ।
चूहा हाथी से बोला है, भूख लगी मैं तुझको खाऊँ।
बकरी चढ़ी पेड़ पर उल्टी, तोड़ लाई है मीठे आम।
चींटी ने झाड़ू पोंछा कर, कर डाले घर के सब काम।
ऐसी कविताएं लिखने का, लालू का उद्देश्य विशेष।
उन्हें देखना है बच्चों में, कितना ज्ञान बचा है शेष।
बच्चे शोर मचाकर बोले, यह कविता बिल्कुल बकवास।
लालूजी की उल्टी बातें, हमें जरा न आतीं रास।