मेरे भैया
बचपन की मीठी यादों से
मन के कच्चे कोने में
अक्सर उभरती हैं ….
सौंधी-सुगंधित स्मृतियां
जो लातीं हैं चेहरे पर
अनायास ही…
सौम्य मुस्कान !
और आँखें देखने लगती हैं
चलचित्र…
जो बयां करतें हैं दास्तां,
भाई – बहन के प्यार की !
कभी बडो़ं के गुस्से से बचाना
और जब मर्जी हो,,,
तब पिटवाना !
चैनेल को लेकर आपस में लड़ना
रिमोट लेकर
आगे – पीछे भागना !
पढ़ाई पर छोटों को पीटना
सवाल समझाते हुए
बेझिझक चीखना !
व्यस्तताओं की आपाधापी में
वो यादें अभी भी ताजा हैं !
अब भी जब मिलते हैं
फुर्सत के पल,,,
जीतीं हूँ वो बीते लम्हें
और संग होता है मेरे
हमारा भाई -बहन का
सौहार्द्र का रिश्ता ॥
अंजु गुप्ता