रक्षा बंधन पर्व पर एक गीत
अनमोल बड़ा है ये बंधन।
पावन रिश्ता रक्षाबंधन।
उमड़ उमड़ के मन है जाता।
जबजब रक्षा बंधन आता।
मन नेह दीप तब जल उठते।
यादों में तेरी जब घिरते।
भाई के मस्तक का चन्दन।
पावन रिश्ता रक्षाबंधन…….(1)
माना हम खूब लड़ा करते
आंखों से भी मोती झरते।
पल में यूँ रूठ दिखाना था।
इक़ पल में गले लगाना था
रोली मौली शुभ ये वंदन
पावन रिश्ता रक्षाबंधन….(२)
रेशम के कच्चे धागों में
मन प्रेम समर्पित रागों में
दुख में सुखदा का है सानी
रिश्ता होता ये नूरानी
हर मन का है *अनहद गुंजन*
पावन रिश्ता रक्षा बन्धन…..(3)
— अनहद गुंजन गीतिका