कविता

“यही तो मेरा कातिल है”

यह जो तुम्हारे होठों पर काला तिल है,
यही तो मेरा कातिल है,
तिरछी नजर से देख कर जो मुस्कुराते हो,
मेरे दिल को तुम कितना जलाते हो,
यह जो तुम मुड़ मुड़कर देखते जाते हो,
मेरी धड़कनों को नाहक बढ़ाते हो,
तुम बार-बार मिलने का बहाना करते हो,
जानता हूं मुझ पर मरते हो,
पर अजब विडम्बना है हमारी तुम्हारी,
मैं भी कुछ कहने से बचता हूं,
तुम भी कुछ कहने से बचते हो,

-राजेश सिंह

राजेश सिंह

पिता. :श्री राम चंद्र सिंह जन्म तिथि. :०३ जुलाई १९७५ शिक्षा. :एमबीए(विपणन) वर्तमान पता. : फ्लैट नं: ऐ/303, गौतम अपार्टमेंट रहेजा टाउनशिप, मलाड (पूर्व) मुंबई-400097. व्यवसाय. : मुख्य प्रबंधक, राष्ट्रीयकृत बैंक, मुंबई मोबाइल. :09833775798/08369310727 ईमेल. :[email protected]