गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

समांत- आन, पदांत- आँखों में, मात्रा भार- 28, यति- 14 पर …….

उठाकर चल दिये सपने, बड़े अरमान आँखों में

ठिठककर पग बढ़े आगे, डगर अंजान आँखों में

दिखी मूरत तुम्हारी तो, न मन विश्वास रख पाया

मिरे तो बोझिल हैं कंधे, कहाँ दिनमान आँखों में॥

खिली है चाँदनी पथ पर, उगी सूरत विराने नभ

डराकर बढ़ रही मंजिल, सड़क सुनसान आँखों में॥

करिश्मा हो गया कोई, महेर मुझ दीवाने पर

परी है आ गई उड़कर, नहीं गूमान आँखों में॥

उड़े जो आ रहे बादल, कहीं घिर जाए न मैना

फुदककर गा रही बुलबुल, जगी पहचान आँखों में॥

बड़े सुंदर तिरे नैना, नक्श नजरों का क्या कहना

कयामत ढ़ा रहीं पलकें, ललक विद्यमान आँखों में॥

मिलूँ कैसे तुझे गौतम, न उड़ना सीख पाया हूँ

न मेरे पास पर कोई, नया यजमान आँखों में॥

महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी

 

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ