“हम तुम्हें हाल-ए-दिल सुनाएँगे”
जो भी आगे कदम बढ़ायेंगे।
फासलों को वही मिटायेंगे।।
तुम हमें याद करोगे जब भी,
हम बिना पंख उड़ के आयेंगे।
यही हसरत तो मुद्दतों से है,
हम तुम्हें हाल-ए-दिल सुनाएँगे।
ज़िन्दगी का यही फ़साना है,
कभी रोयेंगे कभी गायेंगे।
खामियाँ हैं, नसीहतें भी हैं,
गल्तियों से, सुधार लायेंगे।
“रूप” और रंग तो दिखावा है,
प्यार से प्यार आज़मायेंगे।
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)