गीतिका/ग़ज़ल

पहरा

मेरे आस पास अभी
रंजिशों का पहरा है

किसको सुनाऊं हाल ए दिल
जो खड़ा मेरे पास वो बहरा है

छूकर नहीं समझोगे दर्द मेरा
ये अब समंदर से भी गहरा है

मीलों दूर से आया है जो
मेरे पास आकर ठहरा है

बताने आया उसके नाम का
किसी और के सिर सेहरा है

नकाब कितने उतारू मैं
एक चेहरे पर और चेहरा है

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733