मेरी कविता
मेरी कविता चीख है हकीकत की किसी का गुणगान नहीं
अबोल पीड़ा है माटी की किसी पार्टी के दरवाजे की शान नहीं
पार्टियों में बटें हैं लोग कोई एक दूसरे के साथ नहीं
दुर्भाग्य मेरे हिंद देख बेटा नेता का सरहद पर तैनात नहीं
मेरी कविता तो गली-गली में बुलंदी से गाएगी
भ्रष्टाचार के गड्ढे सारे जनता के सामने लाएगी
मेरी कविता किरण सुबह की किसी की चाटुकार नहीं
इसका सब कुछ है हिंदुस्तान और किसी से प्यार नहीं
मां अपने बच्चे को यूंही नहीं फेंका करती
गोली चलने के बाद मजहब नहीं देखा करती
मेरी कविता चुनौती है देशद्रोहियों को कोई विचार नहीं
चुन-चुन के गोली मारेंगे तुम्हारे जीने के कोई आसार नहीं
बताते किसी को नहीं ना जाने कितना कहराते हैं
सरहद पर ,कभी बाढ़ में ,कभी आग से तुम्हें बचाते हैं
सर्वोच्च बलिदान देते हैं वो ये कोई छोटी मोटी बात नहीं
देश की सुरक्षा सब कुछ उनके लिए सोने वाली कोई रात नहीं