सीढ़ी
चलो आज एक सीढ़ी लगाते हैं
आसमान पर
ये चमकते धमकते तारे हैं
इन को लाना है नीचे अपनी झोपड़ी में
अंधेरा दूर करना है बरसों का
रात भर टिमटिमाते हैं ये
खुले आसमान नीचे सोता हूं मैं
तो मुझे चिढ़ाते हैं
सुना है मैंने तारे अनगिनत हैं आसमान में
कुछ को मैं नीचे ले आऊंगा
तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा
कम से कम ये तारे स्वार्थी तो नहीं
आदमी की तरह
मैंने देखा है जिसने रोशनी दिखाई
उसने बाद में फायदा उठाया
जमीन की जद्दोजहद से दिखती है
सच्चाई है ये तारे
इस सच्चाई को मैं अपनी झोपड़ी में रखूंगा
चलो आज एक सीड़ी लगाते हैं आसमान पर